Thursday, November 21, 2024
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आकांक्षी जिला कोरबा में सिसकता एजुकेशन सिस्टम ,356 स्कूलों के बच्चों का भविष्य दांव पर ,18 स्कूल शिक्षकविहीन ,339 स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे ,अतिशेष शिक्षकों का न युक्तियुक्तकरण हुआ न डीएमएफ से अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति ,देखें स्कूलों की सूची ……..

छत्तीसगढ़/कोरबा :- कहते हैं बिना गुरु के शिक्षा नहीं मिलती लेकिन कोरबा जिले में शिक्षा विभाग के चमत्कारिक नजरिए से बिना गुरु के शिक्षा पाने को मजबूर हैं 18 स्कूलों के बच्चे, इन 18 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं है, बच्चे बिना शिक्षक के ही स्कूल मे शिक्षा पाने पहुंच रहे और अपना भविष्य गढ़ने की कोशिश कर रहे, अभिभावक पूछ रहे क्या ऐसी ही गढ़बों कका नवा छत्तीसगढ़…

आँकाक्षी जिला कोरबा में शासन की अनदेखी की वजह से एजुकेशन सिस्टम दम तोड़ रही। स्कूल एवं शिक्षा विभाग की अदूरदर्शिता की वजह से 18 शासकीय विद्यालय (16 प्राथमिक एवं 2 माध्यमिक शाला ) शिक्षकविहीन हैं वहीं 339 शासकीय विद्यालय (321 प्राथमिक एवं 17 माध्यमिक शाला) एकल शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे । अतिशेष शिक्षकों की जानकारी छुपा युक्तियुक्तकरण में फैल रही शिक्षा विभाग की वजह से इन स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है।

यहां बताना होगा कि आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले को केंद्र शासन ने अकांक्षी जिलों में शामिल किया है। जहां शिक्षा,स्वास्थ्य एवं कृषि के पैरामीटर्स पर अभी भी बेहतर कार्य किए जाने की दरकार है। जिसे आकांक्षी जिले से बाहर लाने केंद्र एवं राज्य शासन के समन्वय के साथ विशेष कार्ययोजना बनाकर कार्य किया जा रहा है। 110 आकांक्षी जिलों में पैरामीटर्स से जुड़े क्षेत्रों में कार्य करने एवं मॉनिटरिंग के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में अकांक्षी जिला कोरबा की प्रारंभिक स्कूलों की स्थिति बेहद चिंताजनक है । सूचना के अधिकार के तहत प्रदत्त जानकारी ने , आकंड़ों ने लचर शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। हैरान करने वाली बात है कि जिले के 18 शासकीय विद्यालयों में एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं ,इनमें 16 प्राथमिक एवं 2 माध्यमिक शाला शामिल हैं। शिक्षक विहीन प्राथमिक शालाओं में पोंडी उपरोड़ा ब्लाक से सर्वाधिक 12 विद्यालय शामिल हैं। इनमें प्राथमिक शाला में 11 एवं 1 माध्यमिक शाला शामिल हैं। कोरबा ब्लॉक के 4 प्राथमिक , कटघोरा ब्लॉक के 1 प्राथमिक शाला एवं पाली ब्लॉक से 1 माध्यमिक शाला शिक्षकविहीन हैं। बात करें एकल शिक्षकीय स्कूलों की तो यहां स्थिति अत्यंत निराशाजनक है । जिले में 339 स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे , इनमें 321 प्राथमिक शाला एवं 17 माध्यमिक शाला शामिल हैं। ब्लॉकवार आंकड़ों की बात करें तो सबसे लचर स्थिति पोंडी उपरोड़ा ब्लॉक की है ,यहाँ 128 प्राथमिक एवं 14 माध्यमिक कुल 142 स्कूल एकल शिक्षकीय हैं। इसके बाद पाली का नंबर आता है जहाँ 74 प्राथमिक एवं 2 माध्यमिक कुल 76 शाला एकल शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे । कोरबा में कुल 46 विद्यालय एकल शिक्षकीय हैं इनमें 45 प्राथमिक शाला एवं 1 माध्यमिक शाला शामिल हैं। करतला एवं कटघोरा में 37 -37 प्राथमिक शाला एक एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे । जहां बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है।

इन स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं 

जिले के 18 स्कूल शिक्षकविहीन हैं । इनमें 16 प्राथमिक एवं 2 माध्यमिक शाला शामिल हैं। शिक्षकविहीन प्राथमिक शाला में पोंडी उपरोड़ा विकासखण्ड से धजाक,करमटिया रामपुर,मातिन ,
केरईहापारा ,जामपानी ,सेंदुरगार,कुदरी, सड़कपारा,अमलडीहा ,धवलपुर ,तिलईडांड शामिल हैं। कटघोरा विकासखण्ड से प्राथिमक शाला बरेलीमुड़ा एवं कोरबा ब्लॉक के प्राथमिक शाला बरपानी,सांचरबहार ,खम्हुन एवं पेंड्रीडीह शामिल है। वहीं पोंडी उपरोड़ा विकासखण्ड के माध्यमिक शाला मेरई एवं पोंडी उपरोड़ा विकासखण्ड से माध्यमिक शाला उड़ान शिक्षकविहीन हैं।

ऐसे हो रहा संचालन

शिक्षक विहीन एवं एकल शिक्षकीय स्कूलों में व्यवस्थान्तर्गत संबंधित संकुलों के अतिशेष व अन्य शिक्षकों से मौखिक आदेश पर अध्यापन कार्य कराया जा रहा है । ताकि स्कूलों में एकदम से तालाबंदी की स्थिति निर्मित न हो ।

अतिशेष शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया ,डीएमएफ से भी 212 अतिथि शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव ,कब लेंगे सुध ! 

शिक्षकविहीन एवं एकल शिक्षकीय स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण करने का प्रस्ताव शिक्षा विभाग ने स्कूल शिक्षा विभाग छग शासन को भेजा है। इसका अधिकार डीईओ को नहीं होने की जानकारी सामने आ रही। वहीं डीएमएफ से भी 212 अतिथि शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव भेजा गया है। पर ये दोनों ही महत्वपूर्ण कार्य एक शासन तो दूसरा प्रशासन के पास लंबित है। पखवाड़े भर के भीतर विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी ऐसे में यह कार्य लटकती नजर आ रही है। कक्षा आठवीं तक बच्चों का सतत एवं समग्र मूल्यांकन लेकर उत्तीर्ण करना ही है लेकिन जब नींव ही कमजोर रहेगी तो इमारत कैसे मजबूत होगी जैसी कहावत चरितार्थ होगी। दसवीं बोर्ड में बच्चों की शिक्षा का सही आंकलन होगा। पिछले कुछ सालों से गिरता परीक्षा परिणाम इसे बयां करने में काफी है।

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देख लो भूपेश सरकार आदिवासी बाहुल्य जिले में शिक्षा का हाल, कोरबा जिले में 18 स्कूलों में बिना शिक्षकों के पढ़ाई कर रहे बच्चे

By

 Pritam Jaiswal

 –

October 1, 2023

9

आकांक्षी जिला कोरबा में सिसकता एजुकेशन सिस्टम ,356 स्कूलों के बच्चों का भविष्य दांव पर ,18 स्कूल शिक्षकविहीन ,339 स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे ,अतिशेष शिक्षकों का न युक्तियुक्तकरण हुआ न डीएमएफ से अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति ,देखें स्कूलों की सूची ……..

छत्तीसगढ़/कोरबा :- कहते हैं बिना गुरु के शिक्षा नहीं मिलती लेकिन कोरबा जिले में शिक्षा विभाग के चमत्कारिक नजरिए से बिना गुरु के शिक्षा पाने को मजबूर हैं 18 स्कूलों के बच्चे, इन 18 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं है, बच्चे बिना शिक्षक के ही स्कूल मे शिक्षा पाने पहुंच रहे और अपना भविष्य गढ़ने की कोशिश कर रहे, अभिभावक पूछ रहे क्या ऐसी ही गढ़बों कका नवा छत्तीसगढ़…

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आँकाक्षी जिला कोरबा में शासन की अनदेखी की वजह से एजुकेशन सिस्टम दम तोड़ रही। स्कूल एवं शिक्षा विभाग की अदूरदर्शिता की वजह से 18 शासकीय विद्यालय (16 प्राथमिक एवं 2 माध्यमिक शाला ) शिक्षकविहीन हैं वहीं 339 शासकीय विद्यालय (321 प्राथमिक एवं 17 माध्यमिक शाला) एकल शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे । अतिशेष शिक्षकों की जानकारी छुपा युक्तियुक्तकरण में फैल रही शिक्षा विभाग की वजह से इन स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है।

यहां बताना होगा कि आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले को केंद्र शासन ने अकांक्षी जिलों में शामिल किया है। जहां शिक्षा,स्वास्थ्य एवं कृषि के पैरामीटर्स पर अभी भी बेहतर कार्य किए जाने की दरकार है। जिसे आकांक्षी जिले से बाहर लाने केंद्र एवं राज्य शासन के समन्वय के साथ विशेष कार्ययोजना बनाकर कार्य किया जा रहा है। 110 आकांक्षी जिलों में पैरामीटर्स से जुड़े क्षेत्रों में कार्य करने एवं मॉनिटरिंग के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में अकांक्षी जिला कोरबा की प्रारंभिक स्कूलों की स्थिति बेहद चिंताजनक है । सूचना के अधिकार के तहत प्रदत्त जानकारी ने , आकंड़ों ने लचर शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। हैरान करने वाली बात है कि जिले के 18 शासकीय विद्यालयों में एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं ,इनमें 16 प्राथमिक एवं 2 माध्यमिक शाला शामिल हैं। शिक्षक विहीन प्राथमिक शालाओं में पोंडी उपरोड़ा ब्लाक से सर्वाधिक 12 विद्यालय शामिल हैं। इनमें प्राथमिक शाला में 11 एवं 1 माध्यमिक शाला शामिल हैं। कोरबा ब्लॉक के 4 प्राथमिक , कटघोरा ब्लॉक के 1 प्राथमिक शाला एवं पाली ब्लॉक से 1 माध्यमिक शाला शिक्षकविहीन हैं। बात करें एकल शिक्षकीय स्कूलों की तो यहां स्थिति अत्यंत निराशाजनक है । जिले में 339 स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे , इनमें 321 प्राथमिक शाला एवं 17 माध्यमिक शाला शामिल हैं। ब्लॉकवार आंकड़ों की बात करें तो सबसे लचर स्थिति पोंडी उपरोड़ा ब्लॉक की है ,यहाँ 128 प्राथमिक एवं 14 माध्यमिक कुल 142 स्कूल एकल शिक्षकीय हैं। इसके बाद पाली का नंबर आता है जहाँ 74 प्राथमिक एवं 2 माध्यमिक कुल 76 शाला एकल शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे । कोरबा में कुल 46 विद्यालय एकल शिक्षकीय हैं इनमें 45 प्राथमिक शाला एवं 1 माध्यमिक शाला शामिल हैं। करतला एवं कटघोरा में 37 -37 प्राथमिक शाला एक एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे । जहां बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है।

इन स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं 

जिले के 18 स्कूल शिक्षकविहीन हैं । इनमें 16 प्राथमिक एवं 2 माध्यमिक शाला शामिल हैं। शिक्षकविहीन प्राथमिक शाला में पोंडी उपरोड़ा विकासखण्ड से धजाक,करमटिया रामपुर,मातिन ,
केरईहापारा ,जामपानी ,सेंदुरगार,कुदरी, सड़कपारा,अमलडीहा ,धवलपुर ,तिलईडांड शामिल हैं। कटघोरा विकासखण्ड से प्राथिमक शाला बरेलीमुड़ा एवं कोरबा ब्लॉक के प्राथमिक शाला बरपानी,सांचरबहार ,खम्हुन एवं पेंड्रीडीह शामिल है। वहीं पोंडी उपरोड़ा विकासखण्ड के माध्यमिक शाला मेरई एवं पोंडी उपरोड़ा विकासखण्ड से माध्यमिक शाला उड़ान शिक्षकविहीन हैं।

ऐसे हो रहा संचालन

शिक्षक विहीन एवं एकल शिक्षकीय स्कूलों में व्यवस्थान्तर्गत संबंधित संकुलों के अतिशेष व अन्य शिक्षकों से मौखिक आदेश पर अध्यापन कार्य कराया जा रहा है । ताकि स्कूलों में एकदम से तालाबंदी की स्थिति निर्मित न हो ।

अतिशेष शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया ,डीएमएफ से भी 212 अतिथि शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव ,कब लेंगे सुध ! 

शिक्षकविहीन एवं एकल शिक्षकीय स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण करने का प्रस्ताव शिक्षा विभाग ने स्कूल शिक्षा विभाग छग शासन को भेजा है। इसका अधिकार डीईओ को नहीं होने की जानकारी सामने आ रही। वहीं डीएमएफ से भी 212 अतिथि शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव भेजा गया है। पर ये दोनों ही महत्वपूर्ण कार्य एक शासन तो दूसरा प्रशासन के पास लंबित है। पखवाड़े भर के भीतर विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी ऐसे में यह कार्य लटकती नजर आ रही है। कक्षा आठवीं तक बच्चों का सतत एवं समग्र मूल्यांकन लेकर उत्तीर्ण करना ही है लेकिन जब नींव ही कमजोर रहेगी तो इमारत कैसे मजबूत होगी जैसी कहावत चरितार्थ होगी। दसवीं बोर्ड में बच्चों की शिक्षा का सही आंकलन होगा। पिछले कुछ सालों से गिरता परीक्षा परिणाम इसे बयां करने में काफी है।

डीईओ कार्यालय में अतिशेष शिक्षकों की जानकारी नहीं 

इसे हैरान करने वाली बात कहें कि पूरे जिले की शिक्षा व्यवस्था का नियंत्रणकर्ता कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी के यहाँ अतिशेष शिक्षकों की जानकारी ही नहीं है । जेडी के आदेश के बाद भी जानकारी छुपाई जा रही। यह बात गले नहीं उतर रही कि शिक्षकविहीन ,एकल शिक्षकीय स्कूलों की जानकारी संधारित करने वाले विभाग के पास कैसे अतिशेष शिक्षकों की जानकारी नहीं,या फिर किसी बड़े खुलासे की वजह से जानकारी छुपाई जा रही। डीईओ कार्यालय यह जानकारी बीईओ कार्यालय द्वारा संधारित होने की बात कह रही लेकिन इसे संकलित न करना भी तो जिला कार्यालय

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