Thursday, November 21, 2024

पूर्व सभापति व राजस्व मंत्री के करीबी संतोष राठौर पर उनके ही समाज के लोगो ने लगाए गंभीर आरोप,खोला मोर्चा, लाखो का है झोलझाल…

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कोरबा। क्षत्रिय राठौर समाज के अध्यक्ष संतोष राठौर ने पहले अपनी एक डिसमिल जमीन समाज को दान में दी। हालांकि इस जमीन के रजिस्ट्री पेपर को आज तक किसी से नहीं देखा। इस बीच उसी जमीन के नाम पर सामाजिक भवन निर्माण के लिए लाखों-करोड़ों रुपयों का दान भी आया। इसके बाद अध्यक्ष संतोष राठौर उस भवन के निर्माण के लिए ठेकेदार की भूमिका में नजर आए। समाज के लोग उपयोगिता सिद्ध करने दान में मिली उस राशि की तलाश करते फिर रहे हैं। इन बिंदुओं को लिखित में प्रस्तुत करते हुए समाज के ही लोगों ने संतोष राठौर पर वित्तीय अनियमितता करने का गंभीर आरोप लगाया और कलेक्टर जनदर्शन में शिकायत की है।

क्षत्रिय राठौर समाज के सदस्यों द्वारा जनदर्शन में की गई शिकायत में कहा गया है कि संतोष राठौर ने मात्र 435 वर्गफीट, यानि करीब एक डिसमिल जमीन समाज को दान में देने की घोषणा की थी। इस जमीन को समाज के नाम से रजिस्ट्री कराया गया है कि नहीं, उसकी कापी आज तक किसी को नहीं दिखाई गई। एक डिसमिल जमीन में राठौर समाज का भवन निर्माण हेतु वर्ष 2008-09 में समाज के हजारों सदस्यों से लाखों रुपए राशि दान में लिया। 2022-23 तक सांसद निधि, विधायक निधि एवं मुख्यमंत्री से अनुदान स्वरूप भी लाखों रुपए प्राप्त किया। भवन निर्माण व उन्नयन के लिए कोरबा स्थित औद्योगिक प्रतिष्ठानों से भी लाखों रुपए प्राप्त किया गया। इस तरह लाखों, करोड़ों रुपए एकत्र करने के साथ ही वह सामाजिक भवन निर्माण के लिए स्वयं ठेकेदार भी बन गया। सामाजिक भवन का निर्माण वर्ष 2011-12 में हो गया था। वर्तमान में मुख्यमंत्री द्वारा 20 लाख रुपए सामाजिक भवन का उन्नयन हेतु प्रदान किया गया संतोष राठौर द्वारा अपने किसी मित्र के नाम से नगर निगम से ठेका प्राप्त कर स्वयं पेटी ठेकेदार के रूप में कार्य कराया जा रहा है। उन्नयन न कर अतिरिक्त निर्माण कार्य कराया जा रहा है जिसका निविदा में उल्लेख नहीं है।

सर्वमान्य अध्यक्ष नहीं, स्वयंभू अध्यक्ष भी बताया

समाज के लोगों ने अपने शिकायत में यह भी आरोप लगाया है कि संतोष राठौर समाज का सर्वमान्य अध्यक्ष नहीं है। अपनी पार्षदी व राजनैतिक रसूख की धौंस दिखाकर स्वयं को अध्यक्ष घोषित किया है। उसकी कार्यकारिणी में ज्यादातर लोग परिवार, रिश्तेदार व मित्रगण है। पंजीकृत सामाजिक संगठन की चुनाव प्रक्रिया का भी पालन आज तक नहीं किया गया और न ही संविधान की कापी उपलब्ध कराई गई है। राजनीतिक पहुंच की वजह से समाज के ज्यादातर लोग व्यक्तिगत दुश्मनी के भय से कुछ बोल नहीं पाते। यहां तक कि भवन को सामाजिक लोगों के द्वारा मांगे जाने पर खुद से निर्धारित टेंट हाऊस, केटरिंग वाले से काम कराने मजबूर किया जाता है। सामाजिक भवन को स्टोर की तरह उपयोग किया जा रहा है।

वर्ष 2008-09 से आय-व्यय की आडिट तक नहीं

समाज के सदस्यों मनोज कुमार राठौर, देवराज सिंह राठौर, मनहरण लाल राठौर, मोहनलाल, लक्ष्मी प्रसाद, अजय, संतोष, उमाशंकर, सचिन, सनत कुमार, गोरेलाल, मुकेश कुमार, गोपाल, लखन, गजानंद, त्रिलोचन प्रसाद, मनोज, अशोक, शिवनारायण राठौर आदि ने कहा है कि वर्ष 2008-09 से आज तक समाज को विभिन्न मदों में प्राप्त राशि का आय-व्यय का कोई आॅडिट उसके द्वारा नहीं कराया गया था। काफी विरोध करने पर वर्ष 2023 में पिछले 2-3 वर्षों का आडिट करा कर पंजीयन को जीवित कराया गया है। इसके पहले के वर्षों में पंजीयन शिथिल होने के बावजूद शासकीय मद से राशि प्राप्त करना जांच का विषय है। कलेक्टर से आग्रह किया गया है कि सामाजिक भवन की आड़ में की गई वित्तीय अनियमितता की निष्पक्ष जांच कराई जाए।

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