कोरबा जिले में कटघोरा विकासखंड के अंतर्गत संचालित धान उपार्जन केंद्र अखरापाली में अव्यवस्था, लापरवाही एवं भ्रष्टाचार का आलम यह है, कि धान खरीदी केंद्र में शासन द्वारा खरीदे गए धान को जहां तहां मिट्टी एवं घास फूस में कहीं भी रख दिया गया है और बिना डनेज के सीधा जमीन पर ही स्टेट लगा दिया गया है, धान उपार्जन केंद्र में समिति का कोई भी व्यक्ति नहीं रहता चौकीदार और हमालों के भरोसे पूरा उपार्जन केंद्र चल रहा है, किसानों से धान खरीदी केंद्र में एंट्री से लेकर जगह बताने बोरा लेने एवं धान बिक्री की रसीद लेने तक के लिए घूस देना पड़ रहा है
“आप भी सुने किसानों ने आप बीती क्या सुनाई है 4बेबाक न्यूज़ टीवी के कैमरे के सामने”
धान खरीदी केंद्र अखरा पाली में बिना चढ़ावा चढ़ाए कोई भी काम नहीं हो रहा है सरकार द्वारा बनाए गए कोई भी कानून उक्त धान उपार्जन केंद्र में लागू होते हुए नहीं दिख रहे हैं,
धान उपार्जन केंद्र में फैली अव्यवस्था के बारे में जब प्रभारी से संपर्क किया गया तो जवाब देने के बजाय फोन कट कर फोन स्विच ऑफ कर दिया गया,
धान खरीदी केंद्र में अव्यवस्थाओं के बारे में जब नोडल अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो उनके द्वारा पहले तो फोन नहीं उठाया गया बाद में स्विच ऑफ कर दी गई,
खाद्य निरीक्षक से जब अव्यवस्थाओं पर चर्चा किया गया तो उन्होंने भी पल्ला झाड़ने हुए जाकर देखने की बात कही
धान खरीदी केंद्र अखरा पाली में व्याप्त अव्यवस्थाओं के बारे में जब जिला खाद्य अधिकारी से चर्चा की गई तो उन्होंने भी लाचारी भारी आवाज में क्या कि हमारी कोई सुनता ही नहीं है, जिला खाद्य अधिकारी ने कहा कि धान खरीदी से जुड़े अन्य विभाग के अधिकारियों /कर्मचारियों को बोलने पर उक्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारी हमें साफ शब्दों में कह देते हैं कि हमारे विभाग के अधिकारियों /कर्मचारियों को बोलने का अधिकार आपको नहीं है ऐसी अवस्था में चुप रहना ही जायज है,
जिला खाद्य अधिकारी जिस तरह से लाचार मुद्रा में अपना बयान ,4 बेबाक न्यूज़ टीवी से मोबाइल पर व्या किया उससे तो ऐसा लग रहा है, कि कहीं ना कहीं धान खरीदी केंद्र पूरी तरह से आनियामिकता, लापरवाही एवं भ्रष्टाचार के भेट चढ़ गई है, किसानों ने तो यहां तक कहा कि धान का पैसा लेने जब हम केंद्रीय सहकारी बैंक जाते हैं तो वहां भी गेट से लेकर कैशियर तक चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है, किसानों को बैंक के गेट पर रोक दिया जाता है, जबकि दलालों को बगल के रास्ते से सीधा इंट्री दे दी जाती है, किसानों ने अपने बयान में कहा कि धान खरीदी केंद्र अखरा पाली में किसानों से प्रति बोरी पर लगभग आधा किलो धान अधिक लिया जाता है, यदि किसान प्रत्येक बोरी में 41.200//किलो धान नहीं देगा तो उक्त किसान के धान की खरीदी उपार्जन केंद्र प्रभारी नहीं करेगा और धन खराब होने का हवाला देते हुए वापस कर देगा जिसके कारण धान उपजन केंद्र में किसानों को घूस देना लगभग अनिवार्य हो गया है,किसानों के लिए अखरा पाली धान खरीदी केंद्र में क्या व्यवस्था की गई है इसके बारे में जब वहां के स्टाफ से बात की गई तो उक्त व्यक्ति धान खरीदी केंद्र में चौकीदार के अलावा कोई भी नहीं है यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया और सारा ठीकरा छत्तीसगढ़ शासन के माथे मढ दिया /कोरबा जिले में धान खरीदी केंद्र में फैली अवस्था से यह सिद्ध हो जाता है कि कहीं ना कहीं धान खरीदी से जुड़े अधिकारी व कर्मचारी भ्रष्टाचार के दलदल में खुद फंसे हुए हैं क्योंकि जब प्रतिदिन मॉनिटरिंग हो रही है तो इस तरह की व्यवस्था क्यों निर्मित होती है यही घुस खोरी का बहुत बड़ा प्रमाण है, यदि निष्पक्ष जांच कराई जाए तो ऊपर से नीचे तक सभी भ्रष्टाचारी एवं लापरवाह अधिकारी/ कर्मचारी बेनकाब हो जाएंगे,
यह आलम तब है जबकि प्रत्येक टी एल मीटिंग के बैठक में जिलाधीश महोदय धान खरीदी में संवेदनशीलता के साथ धान उपार्जन व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने संबंधी आदेश देते रहते हैं लेकिन धान उपार्जन में लगे अधिकारियों एवम कर्मचारियों के कानो में जु तक नही रेंगता ।