Thursday, November 21, 2024

कोरबा आजाद भारत में 77 साल बाद भी कई पहुंच विहीन गांव है, वर्षा काल में टापू में बदल जाते हैं……

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कोरबा। जिले में आजादी के 77 साल बाद आज भी कई पहुंच विहीन गांव हैं, जो वर्षा काल में टापू में बदल जाते हैं। आम दिनों में किसी तरह ग्रामीण पगडंडी के रास्ते से सडक़ मार्ग तक पहुंच जाते हैं पर वर्षा की वजह से कीचड़ परेशानी बढ़ा देती है। प्रधानमंत्री सडक़ योजना के आसपास चार से पांच किलोमीटर के दायरे में बसे 22 ऐसे गांव हैं जहां की आबादी 250 से कम हैं। इस वजह से सडक़ का निर्माण नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री सडक़ योजना से तहत निर्माण करने के लिए चिन्हांकित किया गया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है।

आवागमन के लिहाज से कम दूरी वाले दुर्गम सडक़ों को अब भी मुख्य मार्ग से नहीं जोड़ा जा सका है। प्रआनमंत्री सडक़ योजना के अंतर्गत ढाई सौ या उससे अधिक आबादी वाले गांवों को मुख्य मार्ग से जोडऩे की योजना है। जिसके तहत जिले में अब तक 519 सडक़ों की स्वीकृति हुई है। 492 सडक़ों को पूरा किया जा चुका है। कम जनसंख्या वाले बस्तियों को सडक़ मार्ग से जोडऩे की आ रही समस्या को लेकर शासन ने मुख्यमंत्री सडक़ योजना शुरू की है। वर्ष 2011-12 में 32 सडक़ों को चिन्हांकित किया गया था। इनमें 10 सडक़ों का निर्माण हो चुका है। शेष 22 सडक़ों के लिए प्रतिवर्ष सीएम सडक़ योजना की बजट में शामिल किया जाता है।

राशि आवंटन नहीं होने की वजह से सडक़ों का निर्माण अब तक नहीं हो सका है।जिन सडक़ों के लिए स्वीकृति दी गई है, उनमें ज्यादातर सडक़ें चार किलोमीटर से कम दूरी की है। सडक़ निर्माण नहीं होने की वजह से ग्रामीणों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खास बात यह है कि मार्ग में पडऩे वाले छोटे नालों में वर्षा के दौरान उफान रहने की स्थिति में गांव टापू बन कर रह जाता है। सुविधा जनक आवागमन के लिए ग्रामीणों को वर्षा बंद होने व नाले में पानी कम होने का इंतजार करना पड़ता है। गांव को जोडऩे के लिए मार्गों में खेत तक पहुंचाने वाले नाले पड़ते हैं, इस वजह से बारिश के दौरान लोगों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। खास करके स्कूल जाने बच्चों को ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है

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