Saturday, July 27, 2024

लोक जनशक्ति पार्टी (रा.) कोरबा जिला अध्यक्ष राजकुमार दुबे ने कलेक्टर से की शिकायत

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कोरबा वन परिक्षेत्र के बालको रेंज के अंतर्गत ग्राम पंचायत औराकछार ,सोनगुढ़ा गांव के पास स्थित जंगलों में लाखों वर्ग मीटर जमीन पर स्थित लाखों पेड़ों /वृक्षों की कटाई करते हुए बेशकीमती लकड़ियों को बेच दिया गया और जो लकड़ियां नहीं बिकी उन्हें आग के हवाले कर दिया गया और बहुत सी लकड़ियां कुछ दिन पहले तक उसी जगह पर ढेर लगाकर रखी गई थी , जिस भू – भाग पर यह कृत्य किया गया है उसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि वन विभाग के चौकीदार, बीट गार्ड, रेंजर और डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफिसर (DFO) की मिलीभगत से कुछ लकड़ी तस्कर और भू माफिया इस कार्य को अंजाम दिए हैं वन समिति भी कहीं ना कहीं संदेह के घेरे में आ रही है,क्योंकि यह सब कार्य आबादी से सटे हुए इलाके में हुआ है और बहुत दिनों से यहअवैध कार्य चल रहा होगा क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर जंगलों से पेड़ों का कटना बिना विभागीय अधिकारियों ,कर्मचारियों की मिलीभगत से संभव नहीं है,


दुबे ने कहा है कि उक्त वन क्षेत्र के अंतर्गत कार्य कर रहे संबंधित विभाग के चौकीदार, बीट गार्ड,नाका स्टाप एवं रेंजर को तत्काल सेवा से बर्खास्त करते हुए वनमंडला अधिकारी ( DFO) को सेवा से बर्खास्त करने की अनुशंसा राज्य सरकार से जांच उपरांत तत्काल करें यह आपसे निवेदन है क्योंकि उक्त वन क्षेत्र से जितने जंगल के पेड़ों की कटाई की गई है उससे अनुमानित हजारों करोड़ रुपए की क्षति वन विभाग एवं पूरे कोरबा जिले के निवासियों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से हुई है क्योंकि कुछ माह पहले मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सिलवानी गांव के रहने वाले छोटेलाल भिलाल (अनुसूचित जनजाति) के ऊपर दो सागौन पेड़ काटने का जुर्माना रुपए 1.20 करोड़ का जुर्माना वन विभाग के द्वारा पूरे लाभ का कैलकुलेशन / स्टडी करते हुए लगाया गया है बम्होरी फॉरेस्ट रेंजर ने कहा है कि डायरेक्टर जनरल काउंसलिंग ऑफ ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन के मुताबिक एक पेड़ 50 सालों की अवधि में करीब 52 लाख रूपए का लाभ देता है, ( ऐसा आंकड़ा समाचारों के माध्यम से मुझे प्राप्त हुआ है) जैसे वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने, ऑक्सीजन सप्लाई, मिट्टी के कटान, वॉटर फिल्ट्रेशन, भूमि का क्षरण एवं कीमती लकड़ियों के दामों को मिलाकर आंकड़ा निकाला गया है और यदि कहीं पर ऐसे आंकड़ों के तहत रिकवरी प्रकरण बनाया गया है तो छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला में भी इसे लागू करते हुए अन्य कार्यवाही के साथ-साथ वसूली की प्रक्रिया जल्द से जल्द करनी चाहिए ,, महोदय मेरे इस आवेदन की एक प्रति राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को भी कारवाई हेतू भेजा जाए ताकि राष्ट्रीय स्तर पर भी कारवाई सुनिश्चित हो सके, क्योंकि वन मंडल कोरबा के साथ साथ इन वन परीक्षेत्र बालको रेंज के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के द्वारा जो पेड़/ वृक्ष को हजारों की संख्या में काटा गया है उसके जड़/ ठूठ की गिनती करने में भी लापरवाही की गई है जहां हजारों की संख्या में पेड़/वृक्ष काटे गए हैं लेकिन गिनती लगभग 150 से भी कम ही गई है क्योंकि लकड़ी तस्करों के द्वारा बहुत सारी लकड़ियों को शायद ले जाकर बेच दिया गया है और मौके से कटिंग हुए सभी पेड़ों की लकड़ियां जप्त नहीं हो पाई है इसके कारण ही शायद कटे हुए पेड़ों की गणना कम की जा रही है, जंगल में लगे पेड़ों की कटाई का एक कारण छत्तीसगढ़ शासन द्वारा दिए जा रहे बिना सख्त जांच नियम (सत्यापन कराए) बिना वन भूमि पट्टा भी है, इसके पहले भी कोरबा जिले में बहुत सारे पेड़ काटे गए हैं लेकिन वन विभाग की मिलीभगत के कारण ही ना तो निष्पक्ष प्रकरण बनाया गया है और ना ही लकड़ी के मूल्य कि रिकवरी हो पाई है, और भविष्य में इस प्रकरण में भी विधि सम्मत वसूली होने की संभावना दूर-दूर तक नहीं हो पाने की लग रही है, क्योंकि इस मामले में भी वन विभाग की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है,

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